Wednesday 2 March 2016

क़रार देके मुझे

क़रार देके मुझे और बेक़रार किया
ये आज तुमने मुझे किस तरह से प्यार किया

वो एक शख़्स जिसे मेरी आरज़ू ही न थी
उसी का ज़िक्र मगर मैंने बार-बार किया

अजब सुकून था उसके फ़रेब में मुझको
न था यक़ीन मगर फिर भी ऐतबार किया

ग़ज़ब तिलिस्म कि ग़म और ख़ुशी का फ़र्क़ गया
रुला-रुला के मुझे उसने ख़ुशगवार किया

वो एक रात,मुझे जिसमें नींद आ जाती
तमाम उम्र उसी शब का इंतज़ार किया



4.9.2015 - 21.9.2015

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