52 रूपए की साड़ी (12.5.213)
बात है 78-79 की तारीख याद
नहीं ... मम्मी-पापा को बिना बताए खेल-खेल में ऑल इण्डिया रेडियो का ऑडिशन दे आई
थी. क्या पता था सलेक्ट हो जाउंगी ......पहला ड्रामा किया तो 50 रुपए का चेक मिला.
ज़िदगी की पहली कमाई ..... बड़ी शान से मम्मी-पापा को लेकर साड़ी की दुकान पर गयी थी,
मम्मी ने अपने पसन्दीदा लाल-काले रंग की साड़ी (धोती) जिसपे कैरियाँ बनी थीं पसन्द
की थी. 52 रूपए की साड़ी थी 2 रूपए पापा ने दिए थे. एडमिनिस्ट्रेटर पापा की पत्नी,
मेरी माँ अपनी लाड़ली से 52 रूपए की साड़ी पाकर, भीगी पलकें लिए खुश थीं बहुत खुश
.... जैसे अनमोल हीरा मिल गया हो .....पापा उन्हें देख कर मुस्करा रहे थे और मैं..
मैं अपने आप को किसी महारानी से कम नहीं समझ रही थी..... !! मैं जिन्हें खुश करना
चाहती थी वो खुश हो रहे थे .... मुझे खुशी देकर.....! कितनी सहज-सरल-निश्छल खुशी
थी हम सब की !!! वैसी खुशी फिर कभी नहीं मिली बहुत पैसे कमाए बहुत गिफ्ट लिए–दिए
.....
आज Mother’s Day पर याद आ गया, सोचा आप के साथ बाट लूँ …..