परिचय : दीप्ति मिश्र :
दीप्ति मिश्र की एक ग़ज़ल का रदीफ़ "है तो है" इतना मशहूर हुआ कि आज वो दीप्ति मिश्र का दूसरा नाम बन गया है -
वो नहीं मेरा मगर उस से मुहब्बत है तो है
ये अगर रस्मों -रिवाजों से बगावत है तो है
उतर प्रदेश के एक छोटे से कस्बेनुमा शहर लखीमपुर - खीरी में दीप्ति मिश्र का जन्म श्री विष्णु स्वरुप पाण्डेय के यहाँ 15 नवम्बर 1960 को हुआ। गोरखपुर से हाई स्कूल करने के बाद दीप्ति जी ने बी.ए. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से किया। मेरठ यूनवर्सिटी से एम्.ए किया।
सन् 1997 में दीप्ति मिश्र का पहला काव्य संकलन "बर्फ़ में पलती हुई आग " मंज़रे -आम पे आया। इस शाइरी में मुहब्बत के रंगों के साथ औरत के वजूद की संजीदा फ़िक्र भी थी। दीप्ति मिश्र की शाइरी में बेबाकी, सच्चाई और साफगोई मिसरी की डली की तरह घुली रहती है।
दुखती रग पर उंगली रखकर पूछ रहे हो कैसी हो
तुमसे ये उम्मीद नहीं थी ,दुनिया चाहे जैसी हो
दीप्ति मिश्र दूरदर्शन और आकाशवाणी से अधिकृत अदाकारा थी। अभिनय के शौक़ के चलते 2001 में मुंबई आ गई। राजश्री प्रोडक्शन के चर्चित टी.वी सीरियल "वो रहने वाली महलों की " के सभी थीम गीत दीप्ति मिश्र ने लिखे।
औरत-मर्द के रिश्तों की पड़ताल दीप्ति जी ने बड़ी बारीकी से की है और उसपे अपनी राय भी बे-बाकी से दी जो उनके शे'रों में साफ़ देखने को मिलता है।
दिल से अपनाया न उसने ,ग़ैर भी समझा नहीं
ये भी इक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं
तुम्हे किसने कहा था ,तुम मुझे चाहो, बताओ तो
जो दम भरते हो चाहत का ,तो फिर उसको निभाओ तो
Devmani Pandey devmanipandey@gmail.com
दीप्ति मिश्र की एक ग़ज़ल का रदीफ़ "है तो है" इतना मशहूर हुआ कि आज वो दीप्ति मिश्र का दूसरा नाम बन गया है -
वो नहीं मेरा मगर उस से मुहब्बत है तो है
ये अगर रस्मों -रिवाजों से बगावत है तो है
उतर प्रदेश के एक छोटे से कस्बेनुमा शहर लखीमपुर - खीरी में दीप्ति मिश्र का जन्म श्री विष्णु स्वरुप पाण्डेय के यहाँ 15 नवम्बर 1960 को हुआ। गोरखपुर से हाई स्कूल करने के बाद दीप्ति जी ने बी.ए. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से किया। मेरठ यूनवर्सिटी से एम्.ए किया।
सन् 1997 में दीप्ति मिश्र का पहला काव्य संकलन "बर्फ़ में पलती हुई आग " मंज़रे -आम पे आया। इस शाइरी में मुहब्बत के रंगों के साथ औरत के वजूद की संजीदा फ़िक्र भी थी। दीप्ति मिश्र की शाइरी में बेबाकी, सच्चाई और साफगोई मिसरी की डली की तरह घुली रहती है।
दुखती रग पर उंगली रखकर पूछ रहे हो कैसी हो
तुमसे ये उम्मीद नहीं थी ,दुनिया चाहे जैसी हो
दीप्ति मिश्र दूरदर्शन और आकाशवाणी से अधिकृत अदाकारा थी। अभिनय के शौक़ के चलते 2001 में मुंबई आ गई। राजश्री प्रोडक्शन के चर्चित टी.वी सीरियल "वो रहने वाली महलों की " के सभी थीम गीत दीप्ति मिश्र ने लिखे।
औरत-मर्द के रिश्तों की पड़ताल दीप्ति जी ने बड़ी बारीकी से की है और उसपे अपनी राय भी बे-बाकी से दी जो उनके शे'रों में साफ़ देखने को मिलता है।
दिल से अपनाया न उसने ,ग़ैर भी समझा नहीं
ये भी इक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं
तुम्हे किसने कहा था ,तुम मुझे चाहो, बताओ तो
जो दम भरते हो चाहत का ,तो फिर उसको निभाओ तो
दीप्ति मिश्र का दूसरा काव्य संकलन 2005 में आया जिसका नाम वही उनकी ग़ज़ल का रदीफ़ जो दीप्ति का दूसरा नाम अदब की दुनिया में बन गया "है तो है "। इसका विमोचन पद्म-विभूषण पं.जसराज ने किया सन् 2008 में दीप्ति मिश्र का एक और संकलन उर्दू में आया "बात दिल की कह तो दें "।
दीप्ति मिश्र बहुत से टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया है जिसमें प्रमुख है जहाँ पे बसेरा हो , कुंती, उर्मिला, क़दम, हक़ीक़त , कुमकुम, घर एक मंदिर और शगुन। तनु वेड्स मनु , एक्सचेंज ऑफर और साथी -साथी संघाती(भोजपुरी ) फिल्मों में भी दीप्ति मिश्र ने अपने अभिनय किया है। आने वाली फ़िल्म "पत्थर बेज़ुबान " के तमाम गीत दीप्ति मिश्र ने लिखे। दीप्ति मिश्र की ग़ज़लों का एक एल्बम "हसरतें " भी आ चुका हैजिसे गुलाम अली और कविता कृष्णमूर्ती ने अपनी आवाज़ से नवाज़ा है .Devmani Pandey devmanipandey@gmail.com