ग़ज़ल
शब्द नहीं अहसास लिखा है
जो था मेरे पास, लिखा है
भला - बुरा अब दुनिया जाने
मैनें तो बिन्दास लिखा है
उनकी की पांती पतझर लाई
मैं समझी मधुमास लिखा है
अश्कों की स्याही से मैनें
जीव न को परिहास लिखा है
क्या करने हैं महल - दुमहले
क़िस्मत में संन्यास लिखा है
दीप्ति मिश्रा
21.8.2013