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Saturday 30 January 2010

MAIN GHUTNE TEK DUN


ग़ज़ल


मैं   घुटने  टेक दूँ   इतना   कभी   मजबूर   मत  करना
खुदाया   थक  गई   हूँ  पर   थकन  से चूर  मत करना

तुम   अपने   आपको  मेरी  नज़र  से  दूर  मत  करना 
इन   आँखों   को  खुदा  के  वास्ते   बेनूर  मत  करना 

मैं खुद को जानती हूँ  मैं   किसी   की  हो  नहीं  सकती
तुम्हारा   साथ  गर   मागूँ  तो  तुम  मंज़ूर मत  करना 

यहाँ  की   हूँ  वहाँ    की   हूँ   ख़ुदा  जाने   कहाँ   की  हूँ 
मुझे   दूरी   से   क़ुर्बत   है   ये   दूरी   दूर   मत   करना 

न घर अपना, न दर अपना, जो कमियाँ हैं वो कमियाँ हैं 
अधूरेपन   की    आदी    हूँ    मुझे   भरपूर   मत   करना 

दीप्ति मिश्र 
22.2.2010