सच है - प्यासी हूँ मैं
बेहद प्यासी !
मगर
तुमसे किसनें कहा -
कि तुम मेरी प्यास बुझाओ ?
मझसे कही ज़्यादा रीते ,
कहीं ज़्यादा खाली हो तुम !
और तुम्हे अहसास तक नहीं !!
भरना चाहते हो तुम -
अपना खालीपन
मेरी प्यास बुझानें के नाम पर !!
ताज्जुब है !
मुकम्मल बनाना चाहता है मुझे
एक -
"आधा-अधूरा इंसान "!!
दीप्ती मिश्र