बस इतनी-सी बात हुई और साथ हमारा छूट गया
वो मेरा है आखिर इक दिन मुझको मिल ही जाएगा
मेरे मन का एक भरम था ,कब तक रहता टूट गया
दुनिया भर की शान-ओ-शौकत ज्यूँ की त्यूं ही धरी रही
मेरे बैरागी मन में जब सच आया ,सब झूठ गया
क्या जाने ये आँख खुली या फिर से कोई भरम
हुआ
अबके ऐसा उचटा ये दिल , कुछ छोड़ा,कुछ छूट गया
लड़ते - लड़ते आखिर इक दिन पंछी ही की जीत हुई
प्राण-पखेरू नें तन छोड़ा , खाली पिंजरा छूट गया
दीप्ती मिश्र
दुनिया भर की शान-ओ-शौकत ज्यूँ की त्यूं ही धरी रही
मेरे बैरागी मन में जब सच आया ,सब झूठ गया
क्या जाने ये आँख खुली या फिर से कोई भरम
हुआ
अबके ऐसा उचटा ये दिल , कुछ छोड़ा,कुछ छूट गया
लड़ते - लड़ते आखिर इक दिन पंछी ही की जीत हुई
प्राण-पखेरू नें तन छोड़ा , खाली पिंजरा छूट गया
दीप्ती मिश्र