अजीब रिश्ता है
उसके और मेरे बीच !
मेरे लिए वो -
एक महकता हुआ हवा का झोंका है !
और
उसके लिए मैं-
एक खूबसूरत वुजूद !
वो जब चाहे आता है
और समेट लेता है-
मेरा पूरा का पूरा वुजूद अपने में...!
जिस्म से लेकर रूह तक
महक उठती हूँ मैं !
महसूस करती हूँ रग-रग में
उसकी एक-एक छुअन !
थाम लेना चाहती हूँ उसे
हमेशा-हमेशा के लिए !
लेकिन
ऐसा नहीं होता ,कभी नहीं होता !
चला जाता है वो ,जब जाना होता है उसे !
फिर भी
मुझे उसी का इंतज़ार रहता है !
सिर्फ़ उसका इतजार !!
वो अपनी मर्ज़ी का मालिक है
और
मैं अपनें मन की गुलाम !!
उसके हिस्से में-
"आती हूँ पूरी की पूरी मैं"
और
मेरे हिस्से में आता है -
"चंद लम्हों के लम्स का अहसास" !!!
दीप्ती मिश्र