HAI TOU HAI
Monday, 7 March 2016
अभिव्यक्ति
उसने पुर्ज़े पर कुछ लिखा
बहुत देर तक सोचता रहा ...
फिर गुड़ी-मुड़ी कर मेरी ओर उछाल दिया
मैनें पुर्ज़े की तहें खोलीं...
एक-एक शब्द पढ़ा ...
सोचा...
समझा...
फिर सहसा जो लिखा था उसे चूम लिया
मेरे पास लिखने को कुछ नहीं था ...
4.3.2016
6.20pm
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