जब रूह में कोई आन बसे,तो प्यार नहीं कुछ और
भी है
जब मीरा से घनश्याम मिले,तो प्यार नहीं कुछ और भी है
हर प्रेम कहानी का अपना आगाज़ भी है अंजाम भी है
जब
सागर में नदिया डूबे,तो
प्यार नहीं कुछ और भी है
यूँ ध्यान में उसके खो जाना,फिर लौट के खुद को ना पाना
जब
जोत से कोई जोत मिले,तो
प्यार नहीं कुछ और भी है
सुर-ताल मिलें संगीत बने,संगीत से बिरह गीत बने
और
अन्तर से चीत्कार उठे,तो
प्यार नहीं कुछ और भी है
जब अनगिन चोटें सह-सह कर,इक पत्थर मूरत हो जाए
फिर
मूरत में भगवान् दिखे,तो
प्यार नहीं कुछ और भी है
2.9.2015 - 8.9.2015
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