Wednesday 2 March 2016

अक्स


अक्स


बहुत देर से कह रहे थे तुम
तुम्हारा आइना हूँ मैं
देखो मुझे !मैंने तुम्हारे भीतर झाँक के देखा
और चटाक से चटक कर बिखर गए तुम
मेरे चारों ओर ....!एक अकेली मैं
और इतने सारे अक्स !!
तुम्ही बताओ...
कैसे समेटूँ तुम्हें !!!

24.11.2015
12.36pm

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