कभी कोरा काग़ज़ हुआ करते थे तुम
संगमरमर की
तरह सफेद ,साफ़ !
स्याही से
तुमने ख़ुद पर
इतने लेख
लिखे
कि स्याह ही
हो गये तुम
और ...
बन गए एक
ब्लैक-बोर्ड !
इस
ब्लैक-बोर्ड पर -
सफ़ेद चौक
से लिखी थीं
मैंने कुछ
ग़ज़लें...
कुछ नज़्में
...
लिखे थे कुछ
नाम !
कुछ सम्बोधन
!
जिसे तुमने
इश्तेहार की
तरह
हर गली,हर नुक्कड़
हर चौराहे
पर लगाया
और ..
ख़ूब नाम
कमाया ?
फिर ....
कमाई का
हिसाब लगाया
कुछ जोड़ा
कुछ घटाया
डस्टर उठाया
और...
पोंछ दिया
वो सब कुछ
जो स्याह
नहीं सफ़ेद था !!
डस्टर से झड़ती हुई डस्ट ने
मुझसे कहा-
मूर्ख ! ये
ब्लैक बोर्ड है
इस पर कोई
रंग नहीं टिकेगा
इसे ब्लैक
ही रहने दो !
मैंने डस्ट समेटी,
अन्जुरी में
भरी
और...
उंगली के
पोर से
ब्लैक-बोर्ड
पर लिख दिया
ब्लैक !!!
16.1.2016
10.20 am
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