जिससे तुमने ख़ुद को देखा ,हम वो एक नज़रिया थे
हम से ही अब क़तरा हो तुम ,हम से ही तुम दरिया थे
सारा - का - सारा खारापन हमने तुम से पाया है
तुमसे मिलने से पहले तो , हम एक मीठा दरिया थे
मखमल की ख्वहिश थी तुमको ,साथ भला कैसे निभता
हम तो संत कबीरा की झीनी सी एक चदरिया थे
अब समझे ,क्यों हर चमकीले रंग से मन हट जाता था
बात असल में ये थी , हम ही सीरत से केसरिया थे
जोग लिया फिर ज़हर पीया , मीरा सचमुच दीवानी थी
तुम अपनी पत्नी, गोपी और राधा के सांवरिया थे
दीप्ति मिश्र
7 comments:
जिससे तुमने ख़ुद को देखा ,हम वो एक नज़रिया थे
हम से ही अब क़तरा हो तुम ,हम से ही तुम दरिया थे
jisse humne khud ko dekha,tum woh ek nazariya they,
khud ko khokar khud ko paya,tum to kewal zariya they......
which one is right ?
जिससे तुमने ख़ुद को देखा ,हम वो एक नज़रिया थे हम से ही अब क़तरा हो तुम ,हम से ही तुम दरिया थे
jisse se humne khud ko dekha tum woh ek nazariya they,
khud ko khokar khud ko paya tum to kewal zariya they....
which one is right ?
विकास जी आप बिलकुल सही हैं पहले ये वैसा ही था जैसा आपने लिखा है इसे मैनें बाद में बदल दिया है .
विकास जी आप बिलकुल सही हैं पहले ये वैसा ही था जैसा आपने लिखा है इसे मैनें बाद में बदल दिया है .
ok kuch naya likha hua ho to share kariyega.... mere jaise jane kitne log intzaar me honge....
As like nadi jake sagar me mil jati hai fir sagar ki tarah khari ho jati hai.
जी कनु जी सही समझा .....!!
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