तम्हें किसने कहा था , तुम मुझे चाहो बताओ तो
जो दम भरते हो चाहत का ,तो फिर उसको निभाओ तो
दिए जाते हो ये धमकी ,गया तो फिर न आऊँगा
कहाँ से आओगे पहले मेरी दुनिया से जाओ तो
मेरी चाहत भी है तुमको और अपना घर भी प्यारा है
निपट लूँगी मैं हर ग़म से , तुम अपना घर बचाओ तो
तुम्हारे सच की सच्चाई पे मैं क़ुर्बान हो जाऊँ
पर अपना सच बयां करने की तुम हिम्मत जुटाओ तो
फ़क़त इन बद्दुआओं से , बुरा मेरा कहाँ होगा
मुझे बर्बाद करने का ज़रा बीड़ा उठाओ तो
दीप्ति मिश्र
4 comments:
mishra g maar hi dalogi
Of sorts unstudied final cause is vincent gallo who made the catalog cure whereto the obstinate brooklyn league doings tailor. http://xisuxeb.com
bahut bahut umdah diptiji..dil ko chu gaya
Thanks:)
Post a Comment