DUSTBIN
मैं एक --
SOPHISTICATED DUSTBIN हूँ !
SOPHISTICATED DUSTBIN हूँ !
मेरी SOCIETY के लोग ,
जब जी चाहे ,मुझमें
अपना कचरा डाल जातें हैं
और ----
साफ़ हो जाता है ,
उनका SO-CALLED घर !!
लेकिन ----
मुझे साफ़ करने के लिए ,
MUNICIPALITY की गाड़ी,
नहीं आती !
मैं इस कचरे को
खंगालती हूँ ,
छानती हूँ !
कुछ अच्छा मिल जाता है ,
तो सहेज लेती हूँ !!
जो अच्छा नहीं होता ,
उसे RECYCLE कर
स्वच्छ बना लेती हूँ ,
स्वच्छ हो जाती हूँ !!
लेकिन कब तक ??
कब तक मैं
दूसरों के "विकार "
दूर करती रहूंगी ??
क्या ऐसा कोई पात्र नहीं
जिसकी पात्रता में
"मैं " समा सकूँ ???
पागल हूँ मैं
एक DUSTBIN के लिए --
खोजती हूँ ------
दूसरा "DUSTBIN" !!!!
दीप्ति मिश्र
2 comments:
Very good metaphor :)
Diptiji
Thodisi Jaan is missing form this poem. Somehow the depth is not there.
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