पति-पत्नी
तब-
हम दोनों एक-दूसरे को
सिर्फ़ प्यार की ख़ातिर
प्यार करते थे !
अब-
आदतन प्यार करते हैं !
तब -
प्यार में झगड़ा होता था !
अब-
झगड़े के बाद ही प्यार उमड़ता है !
तब इतनी बातें होती थीं
कि ख़ामोशी के लिए जगह ही नहीं थी!
अब ख़ामोशी बोलती है और
शब्द बेमानी हो गए हैं !
तब जब छुपाने को बहुत कुछ था ,
हमने कुछ नहीं छुपाया !
अब हम वो सब छुपाते हैं ,
जिसे पहले से ही जानते हैं !
तब हम दोनों एक-दूसरे को
पूरी तरह से जान लेना चाहते थे !
अब इतना जान चुके हैं
कि किसी और को तो क्या ख़ुद को भी
पूरी तरह जान पाना नामुमकिन है !
तब हमारी नज़रें-
एक-दूसरे की ख़ूबियों पर होतीं थीं
और हम ख़ुश रहते थे !
अब ख़ामियों से नज़र हटती ही नहीं
और हम दुखी रहतें हैं !
लेकिन इस सब के बावजूद
एक-दूसरे को ख़ुश रखने की चाहत
अभी बाक़ी है और कोशिश जारी है !
ये रिश्ता सफल है या असफल
यह तो मैं नहीं जानती
लेकिन इतना तो तय है
कि एक-दूसरे के बिना हम
अ.धू..रे..हैं !
चाहे हम साथ रहें
या ना रहें !!!
दीप्ति मिश्र
प्यार करते थे !
अब-
आदतन प्यार करते हैं !
तब -
प्यार में झगड़ा होता था !
अब-
झगड़े के बाद ही प्यार उमड़ता है !
तब इतनी बातें होती थीं
कि ख़ामोशी के लिए जगह ही नहीं थी!
अब ख़ामोशी बोलती है और
शब्द बेमानी हो गए हैं !
तब जब छुपाने को बहुत कुछ था ,
हमने कुछ नहीं छुपाया !
अब हम वो सब छुपाते हैं ,
जिसे पहले से ही जानते हैं !
तब हम दोनों एक-दूसरे को
पूरी तरह से जान लेना चाहते थे !
अब इतना जान चुके हैं
कि किसी और को तो क्या ख़ुद को भी
पूरी तरह जान पाना नामुमकिन है !
तब हमारी नज़रें-
एक-दूसरे की ख़ूबियों पर होतीं थीं
और हम ख़ुश रहते थे !
अब ख़ामियों से नज़र हटती ही नहीं
और हम दुखी रहतें हैं !
लेकिन इस सब के बावजूद
एक-दूसरे को ख़ुश रखने की चाहत
अभी बाक़ी है और कोशिश जारी है !
ये रिश्ता सफल है या असफल
यह तो मैं नहीं जानती
लेकिन इतना तो तय है
कि एक-दूसरे के बिना हम
अ.धू..रे..हैं !
चाहे हम साथ रहें
या ना रहें !!!
दीप्ति मिश्र
4 comments:
how true Diptiji......kabhi to aisi qurbat thi ke saans bhi jagah dhoonti thi aur ab mar bhi jaoon to samjhenge so rahi hoon mai.......everything is taken for granted but still we are truely incomplete without each other
now true dipti ji...khabhi to itne qareeb the ke saan bhi jagah dhoondti thi....aur ab mar bhi jaaoon to samjhenge soo rahi hoon mai......we take things for granted but still we feel incomplete without each other
now true dipti ji...khabhi to itne qareeb the ke saan bhi jagah dhoondti thi....aur ab mar bhi jaaoon to samjhenge soo rahi hoon mai......we take things for granted but still we feel incomplete without each other
kitab koi bhi ho kahani to ek hee hai :)bahut-bahut shukriya razzmatazz ji!
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