वो जो मेरे साथ नहीं है,वो जो मेरे पास नहीं है
बस उसका अहसास है मुझको,और कोई अहसास नहीं है
उसके सुख में खुश होती हूँ ,उसके दुःख में रो लेती
हूँ
जिसको
मेरे रंजो ग़म का रत्ती भर अाभास नहीं है
प्रेम दीवानी मीरा हूँ मैं वो पत्थर का कृष्न कन्हिया
उससे
क्या फ़रियाद करूँ अब दिल ही जिसके पास नहीं है
बिन पानी के मछली जैसी रह-रह कर क्यों तड़प रही हूँ
एक
ज़रा सा दिल टूटा है ऐसा तो कुछ ख़ास नहीं है
सागर-दरिया,बादल-नदिया सब के सब
नाकाम हुए हैं
ऐसे
कैसे बुझ जाएगी,एेसी-वैसी
प्यास नहीं है
20.9.2015 - 18.10.2015
10.35pm