इन्कार करूँ,इक़रार करूँ,ये इश्क़ कहाँ जाँ छोड़े
है
जब जी चाहे ये दिल जोड़े,जब जी चाहे दिल तोड़े है
जो सपना है वो अपना है, जो अपना है वो सपना है
मैं
अपना सपना छोड़ भी दूँ पर वो कब मुझको छोड़े है
ये दिल की दुनिया है इसमें नुक़सान-नफ़ा मैं क्या देखूँ
जब
इश्क़ किया तो इश्क़ किया कोई सौदेबाज़ी थोड़े है
यूँ दिल के लेने-देने से पहले तुम इतना जान तो लो
इस
दिल की अदला-बदली में,कोई
टूटे है कोई तोड़े है
दिल टूट गया तो टूट गया और बिखर गया तो बिखर गया
अब
टूटी किरचें चुन-चुन कर, क्या
जाने क्या वो जोड़े है
17.8.2015 - 23.8.2015
10.20pm