Wednesday 2 March 2016

विचार - धारा


मेरी विचारधारा उसकी विचारधारा से
मेल नहीं खाती....
इस लिये -
उसने मुझे स्वयं से काट कर अलग कर दिया,
क्योंकि - 
उसके साथ उसकी दुनिया है !
जिसके प्रति -
वो जवाबदेह है !

उसकी विचारधारा मेरी विचारधारा से
मेल नहीं खाती....
किन्तु मैं उसे स्वयं से काट कर अलग नहीं कर सकी 
क्योंकि
मेरी दुनिया " वो " है
मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं !!!

4.11.2015
4.40pm

थोड़ी देर



बात जाने किस मोड़ पर पहुँच गई थी
कि बात करते-करते ...
अचानक वो चुप हो गया !
फिर कहा -
थोड़ी देर में कॉल करता हूँ ।

मैं फ़ोन का रिसीवर हाथ में लिए 
देखती रही झिलमिलाते हुए तारों को
और ...
उलझाए रही अपनेआप को 
इधर-उधर की बातों में...
धीरे-धीरे ...
"थोड़ी देर" सरकते-सरकते
"बहुत देर" में बदल गई !

झपकी आई ही थी
कि फ़ोन घनघना उठा..
मैंने सकपका कर कहा 
ह..हलौ 
उसने कहा - 
सौरी... ऑंख लग गई थी..औफ़िस में हूँ 
थोड़ी देर में कॉल करता हूँ।

सोच रही हूँ ..
ऑंख खोल दूँ !!
या ...
बंद ही रहने दूँ !!!!

22.1.2016
11.15am

ढ़ाई आखर


सिर्फ़ ढ़ाई आखर सुने
और....
तड़तड़ा कर टूट गए सभी टाँकें !
घाव जो भरा भी नहीं था
फिर से हरा हो गया !!
सुना था ज़हर,ज़हर को काटता है
आज पता चला ...
प्रेम,प्रेम को मारता है !!!

12.2.2016
12.10pm

सपने


मेरे सपने बहुत टूटते थे ..
भर-भर के देखती जो थी !!
अब नहीं टूटते ..
सोना जो छोड़ दिया !!
अरे नहीं ,
सपनों से पीछा नहीं छूटा ,
अब भी देखती हूँ ..
भर-भर के देखती हूँ..
खुली आँखों से ....!!
अब
आनन्द ही आनन्द है
न नींद टूटती
न सपने !

24.7.2015
11.15 AM

सीधी बात



लिख चुके हो तुम 
वो सब - जो तुम्हें लिखना था
मेरे भाग्य में !
लिख रही हूँ मैं
वो सब - जो मुझे लिखना है 
अपने कर्म से !

मिटा दिया है मैंने वो सब -
जो लिखा था तुमने !
लिख रही हूँ मैं वो सब -
जो लिखना है मुझे!

कैसे मिटाओगे तुम वो सब -
जो अभी लिखा ही नहीं ?
कैसे मिटाओगे तुम वो सब -
जो अभी हुआ ही नहीं ?

सुनो ! ऐसा करना ...
मैँ लिखती रहूँगी तब तक -
जब तक मैं हूँ!
तुम मिटाते रहना तब तक -
जब तक मैं हूँ !!!!

12.8.20015
6.38 pm

साथ



वो मेरे साथ है 
क्योंकि -
वो मुझे खोना नहीं चाहता ।
मैं उसके साथ हूँ
क्योंकि -
वो मुझे खोना नहीं चाहता।
मैं क्या चाहती हूँ ?
.....
उसने कभी पूछा ही नहीं ।
अगर पूछता ...
तो बता देती -
मैं भी यही चाहती हूँ
कि तुम -
मुझे खोना न चाहो ....!!

27.10.20015
9.45am

सब - कुछ



पुरुष - मैं तुमसे प्रेम करता हूँ !
स्त्री - ??
पुरुष - मैं तुमसे बेइंतिहा प्रेम करता हूँ !
स्त्री - ........!
पुरुष - मैं तुमसे सदियों से प्रेम करता हूँ !
स्त्री - म्..म..मैं प्रभावित हूँ !
पुरुष - शायद जन्मों से ....!
स्त्री - सम्मान करती हूँ तुम्हारी भावनाओं का !
पुरुष - स्वीकार लो !
स्त्री - स्वीकार लिया !
प्रेम में प्रेम का विलय ...
प्रेम ही हो गया दोनों के लिए 
"सबकुछ"
फिर - 
दानों ने प्रेम को आधा-आधा बाँट लिया
स्त्री के लिए पुरुष - "सब" !!
पुरुष के लिए स्त्री - "कुछ" !!!
 12.7.2015