Wednesday 2 March 2016
सीधी बात
लिख चुके हो तुम
वो सब - जो तुम्हें लिखना था
मेरे भाग्य में !
लिख रही हूँ मैं
वो सब - जो मुझे लिखना है
अपने कर्म से !
मिटा दिया है मैंने वो सब -
जो
लिखा था तुमने !
लिख
रही हूँ मैं वो सब -
जो
लिखना है मुझे!
कैसे मिटाओगे तुम वो सब -
जो
अभी लिखा ही नहीं ?
कैसे
मिटाओगे तुम वो सब -
जो
अभी हुआ ही नहीं ?
सुनो ! ऐसा करना ...
मैँ
लिखती रहूँगी तब तक -
जब
तक मैं हूँ!
तुम
मिटाते रहना तब तक -
जब
तक मैं हूँ !!!!
12.8.20015
6.38 pm
सब - कुछ
पुरुष - मैं तुमसे प्रेम करता हूँ !
स्त्री
- ??
पुरुष
- मैं तुमसे बेइंतिहा प्रेम करता हूँ !
स्त्री
- ........!
पुरुष
- मैं तुमसे सदियों से प्रेम करता हूँ !
स्त्री
- म्..म..मैं प्रभावित हूँ !
पुरुष
- शायद जन्मों से ....!
स्त्री
- सम्मान करती हूँ तुम्हारी भावनाओं का !
पुरुष
- स्वीकार लो !
स्त्री
- स्वीकार लिया !
प्रेम
में प्रेम का विलय ...
प्रेम
ही हो गया दोनों के लिए
"सबकुछ"
फिर
-
दानों
ने प्रेम को आधा-आधा बाँट लिया
स्त्री
के लिए पुरुष - "सब" !!
पुरुष
के लिए स्त्री - "कुछ" !!!
12.7.2015
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