प्यास
सच
है –
प्यासी
हूँ मैं
बेहद
प्यासी
मगर
तुमसे किसने कहा, कि –
तुम
मेरी प्यास बुझाओ ?
मुझसे
कहीं ज़्यादा रीते,
कहीं
ज़्यादा ख़ाली हो तुम .
और...
तुम्हें
अहसास तक नहीं
कि -
भरना
चाहते हो तुम अपना खालीपन
मेरी
प्यास बुझाने के नाम पर .
ताज्जुब
है !
मुक्कमल
बनाना चाहता है मुझे
एक-
आधा-अधूरा
इन्सान !!
दीप्ति मिश्र
17.2.2004
दीप्ति मिश्र
17.2.2004
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