Thursday, 19 July 2012

Jahan Pe Basera Ho Promo 2 By Micky

Jahan Pe Basera Ho Music Promo By Micky

A new family soap Jahan Pe Basera Ho

Saturday, 14 July 2012

Monday, 28 May 2012

कहॉं दर्द है कुछ ख़बर

 

कहाँ  दर्द   है  कुछ  ख़बर  ही   नहीं   है 
कि  अब  दर्द का कुछ असर  ही  नहीं है

मेरे   घर  में   मेरी  बसर  ही   नहीं   है 
जिसे   घर  कहूँ  ये  वो  घर  ही  नहीं है

मैं किस आस्ताँ पर करूँ  जा के सजदा 
झुके  जिसपे  सर  ऐसा  दर  ही नहीं है 

भरोसा   है उसके  ही  वादे  पे  मुझको 
मुकरने   में  जिसके कसर ही  नहीं है 

ये  किस मोड़ पर आ गई ज़िन्दगानी
कहानी   में  ज़ेरो -ज़बर  ही   नहीं   है 

दीप्ति मिश्र 

Thursday, 17 May 2012

अपूर्ण


अपूर्ण 


हे सर्वज्ञाता ,सर्वव्यापी ,सार्वभौम !
क्या सच में तुम सम्पूर्ण हो ?
"हाँ "कहते हो तो सुनों -

सकल ब्रम्हांड में 
यदि कोई सर्वाधिक अपूर्ण है 
तो वो "तुम" हो !!
होकर भी नहीं हो तुम !!!
बहुत कुछ शेष है अभी ,
बहुत कुछ है जो घटित होना है !
उसके बाद ही तुम्हें सम्पूर्ण होना है!

हे परमात्मा !
मुझ आत्मा को 
विलीन होना है अभी तुममें!
मेरा स्थान रिक्त है अभी तुम्हारे भीतर 
फिर तुम सम्पूर्ण कैसे हुए ?

तुममें समाकर "मैं"
शायद पूर्ण हो जाऊं !
किन्तु "तुम" ?
"तुम" तो तब भी अपूर्ण ही रहोगे 
क्योंकि -
मुझ जैसी -
जानें कितनी आत्माओं की रिक्तता से 
भरे हुए हो "तुम" !

जाने कब पूर्ण रूप से भरेगा 
तुम्हारा ये रीतापन -
ये खालीपन !!
जाने कब ?
जाने कब ?

दीप्ती मिश्र  

Tuesday, 15 May 2012

लम्स


अजीब रिश्ता है 
उसके और मेरे बीच !
मेरे लिए वो -
एक महकता हुआ हवा का झोंका है !
और 
उसके लिए मैं-
एक खूबसूरत वुजूद !

वो जब चाहे आता है 
और समेट लेता है-
मेरा पूरा का पूरा वुजूद अपने में...!

जिस्म से लेकर रूह तक 
महक उठती हूँ मैं !
महसूस करती हूँ रग-रग में 
उसकी एक-एक छुअन !
थाम लेना चाहती हूँ उसे 
हमेशा-हमेशा के लिए !
लेकिन 
ऐसा नहीं होता ,कभी नहीं होता !
चला जाता है वो ,जब जाना होता है उसे !
फिर भी 
मुझे उसी का इंतज़ार रहता है !
सिर्फ़ उसका इतजार !!

वो अपनी मर्ज़ी का मालिक है 
और 
मैं अपनें मन की गुलाम !!
उसके हिस्से में- 
"आती हूँ पूरी की पूरी मैं" 
और 
मेरे हिस्से में आता है -
"चंद लम्हों के लम्स का अहसास" !!!
  

दीप्ती मिश्र