Monday, 9 September 2013

सन्तुलन

सन्तुलन

मुझमें मुझसे बड़ा कोई है 
और छोटा भी ...!!
छोटे -बड़े की इस तना-तनी के मध्य -
मैं संतुलन का काम करती हूँ और ....
सीमाएं... जो शायद टूट जानी चहिये 
नहीं टूटतीं !!!!!!!


दीप्ति मिश्र 
20.8.2013

शब्द नहीं अहसास लिखा है

ग़ज़ल 

शब्द नहीं अहसास लिखा है 
जो था  मेरे  पास, लिखा  है

भला - बुरा अब दुनिया जाने 
मैनें  तो  बिन्दास  लिखा  है 

उनकी  की पांती  पतझर लाई
मैं समझी  मधुमास लिखा है

अश्कों  की   स्याही  से  मैनें
जीव न को परिहास  लिखा है

क्या करने हैं महल - दुमहले
क़िस्मत में संन्यास लिखा है 


 दीप्ति मिश्रा
21.8.2013 




जन्माष्टमी

तुम्ही ने तो "गीता" में कहा है - " जो जन्मता है उसकी मृत्यु निश्चित है " !!
फिर कैसे मनाऊं तुम्हारा जन्मोत्सव ??
कहो..तुम ही कहो ...........!!!!!!!!


दीप्ति मिश्र 

पगलिया



उसे अपनी माँ से प्यारा कोई न था!

इसे अपनी पत्नी सबसे प्यारी थी!


उसकी पत्नी और इसकी माँ


जिसे पति और पुत्र से प्यारा कोई न था...


अपना प्यार दोस्तों में बाँटती फिरती है...


उन दोस्तों में .......जो भरे पूरे हैं !!!!!!


दीप्ति मिश्र


10.8.2013

Wednesday, 21 August 2013

Monday, 15 April 2013

एक शाम नरहरि जी के नाम

 
हस्तीमल हस्ती, श्री एवं श्रीमती नरहरि,कैलाश सेंगर  
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Friday, 12 April 2013

आखिर मेरी वफ़ाओं का




ग़ज़ल 

आखि़र   मेरी  वफ़ाओं  का  कुछ  तो सिला मिला
उसको  भी  आज   दोस्त   कोई   बेवफ़ा   मिला

कहते  थे  लोग  हमसे   ये   दुनिया   फ़रेब   है
हमको  तो  रास्ते  में  ही   इक  रहनुमा   मिला

दो पल के तेरे  साथ  ने  क्या  कुछ   नहीं  दिया
बस ये समझ कि तुझ में ही सब कुछ छिपा  मिला

मेरा   नहीं   था  तू  मुझे  मिलना  तुझी  से  था
लुक-छुप के  खेल में  मेरी कि़स्मत को क्या  मिला

बढ़कर  खु़दा  से  क्यों   न  मैं  पूजूँ  तुझे   बता
जब उसकी  जगह तू  मुझे  बन  कर  खु़दा  मिला 

दीप्ति मिश्र 
8.2.95 -14.3.95