Tuesday 4 February 2014

52 रूपए कि साड़ी

                                        52 रूपए की साड़ी (12.5.213)



बात है 78-79 की तारीख याद नहीं ... मम्मी-पापा को बिना बताए खेल-खेल में ऑल इण्डिया रेडियो का ऑडिशन दे आई थी. क्या पता था सलेक्ट हो जाउंगी ......पहला ड्रामा किया तो 50 रुपए का चेक मिला. ज़िदगी की पहली कमाई ..... बड़ी शान से मम्मी-पापा को लेकर साड़ी की दुकान पर गयी थी, मम्मी ने अपने पसन्दीदा लाल-काले रंग की साड़ी (धोती) जिसपे कैरियाँ बनी थीं पसन्द की थी. 52 रूपए की साड़ी थी 2 रूपए पापा ने दिए थे. एडमिनिस्ट्रेटर पापा की पत्नी, मेरी माँ अपनी लाड़ली से 52 रूपए की साड़ी पाकर, भीगी पलकें लिए खुश थीं बहुत खुश .... जैसे अनमोल हीरा मिल गया हो .....पापा उन्हें देख कर मुस्करा रहे थे और मैं.. मैं अपने आप को किसी महारानी से कम नहीं समझ रही थी..... !! मैं जिन्हें खुश करना चाहती थी वो खुश हो रहे थे .... मुझे खुशी देकर.....! कितनी सहज-सरल-निश्छल खुशी थी हम सब की !!! वैसी खुशी फिर कभी नहीं मिली बहुत पैसे कमाए बहुत गिफ्ट लिए–दिए .....

आज  Mother’s Day पर याद आ गया, सोचा आप के साथ बाट लूँ …..  

Monday 9 September 2013

सन्तुलन

सन्तुलन

मुझमें मुझसे बड़ा कोई है 
और छोटा भी ...!!
छोटे -बड़े की इस तना-तनी के मध्य -
मैं संतुलन का काम करती हूँ और ....
सीमाएं... जो शायद टूट जानी चहिये 
नहीं टूटतीं !!!!!!!


दीप्ति मिश्र 
20.8.2013

शब्द नहीं अहसास लिखा है

ग़ज़ल 

शब्द नहीं अहसास लिखा है 
जो था  मेरे  पास, लिखा  है

भला - बुरा अब दुनिया जाने 
मैनें  तो  बिन्दास  लिखा  है 

उनकी  की पांती  पतझर लाई
मैं समझी  मधुमास लिखा है

अश्कों  की   स्याही  से  मैनें
जीव न को परिहास  लिखा है

क्या करने हैं महल - दुमहले
क़िस्मत में संन्यास लिखा है 


 दीप्ति मिश्रा
21.8.2013 




जन्माष्टमी

तुम्ही ने तो "गीता" में कहा है - " जो जन्मता है उसकी मृत्यु निश्चित है " !!
फिर कैसे मनाऊं तुम्हारा जन्मोत्सव ??
कहो..तुम ही कहो ...........!!!!!!!!


दीप्ति मिश्र 

पगलिया



उसे अपनी माँ से प्यारा कोई न था!

इसे अपनी पत्नी सबसे प्यारी थी!


उसकी पत्नी और इसकी माँ


जिसे पति और पुत्र से प्यारा कोई न था...


अपना प्यार दोस्तों में बाँटती फिरती है...


उन दोस्तों में .......जो भरे पूरे हैं !!!!!!


दीप्ति मिश्र


10.8.2013

Wednesday 21 August 2013

Monday 15 April 2013

एक शाम नरहरि जी के नाम

 
हस्तीमल हस्ती, श्री एवं श्रीमती नरहरि,कैलाश सेंगर  
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