Tuesday 8 November 2011

मैंने अपना हक माँगा था

  

मैंने अपना   हक  माँगा था ,वो  नाहक ही  रूठ गया 
बस  इतनी-सी बात  हुई और साथ हमारा  छूट गया 

वो मेरा है आखिर  इक दिन मुझको मिल ही जाएगा 
मेरे  मन  का एक भरम था ,कब तक रहता टूट गया 

दुनिया भर की शान-ओ-शौकत ज्यूँ की त्यूं ही धरी रही
मेरे  बैरागी  मन   में  जब  सच  आया ,सब   झूठ  गया

क्या  जाने  ये आँख  खुली  या फिर  से कोई भरम 
हुआ
अबके  ऐसा  उचटा  ये दिल , कुछ  छोड़ा,कुछ छूट गया

लड़ते - लड़ते  आखिर इक दिन पंछी  ही  की जीत हुई 
प्राण-पखेरू  नें  तन  छोड़ा , खाली  पिंजरा   छूट  गया 

दीप्ती मिश्र 

Thursday 20 October 2011

DIPTI MISRA IN AJMER MUSHAYRA

Monday 29 August 2011

HAPPY BIRTHDAY MUMMA

Wednesday 24 August 2011

BAHUT KHOOB - Dipti Mishra

Wednesday 3 August 2011